जीएसटी विभाग: के नोटिस से बेहाल छोटे दुकानदार क्या है ये जीएसटी का फंडा...
छोटे दुकानदार अपनी दुकानों पर "केवल नकद" का बोर्ड क्यों लगा रहे हैं?
हाल के दिनों में, खासकर बेंगलुरु जैसे शहरों में, कई ठेले वाले, चाय की टपरी वाले और छोटे दुकानदार अपनी दुकानों पर "केवल नकद" या "नो यूपीआई" (No UPI) के बोर्ड लगाते हुए देखे जा रहे हैं। इसके पीछे कई प्रमुख कारण हैं:
जीएसटी नोटिस का डर: यह सबसे बड़ा और तात्कालिक कारण है। सरकार अब यूपीआई (UPI) लेनदेन डेटा का विश्लेषण करके उन छोटे व्यवसायों की पहचान कर रही है, जिनका डिजिटल लेनदेन टर्नओवर की जीएसटी सीमा (₹40 लाख या ₹20 लाख) को पार कर गया है, लेकिन उन्होंने जीएसटी पंजीकरण नहीं कराया है। इन दुकानदारों को बकाया जीएसटी, ब्याज और जुर्माने के भारी-भरकम नोटिस मिल रहे हैं, जो उनकी क्षमता से कहीं अधिक हैं।
क्यों भेजे जा रहे हैं ये नोटिस?
मुख्य रूप से, ये नोटिस इसलिए भेजे जा रहे हैं क्योंकि सरकार चाहती है कि हर व्यापारिक इकाई, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हो, जीएसटी के दायरे में आए. जीएसटी कानून के तहत, कुछ विशिष्ट टर्नओवर से ऊपर के व्यवसायों को जीएसटी पंजीकरण कराना अनिवार्य है. हालांकि, कई छोटे व्यवसायी इस कानून से अनभिज्ञ हैं या उन्हें लगता है कि उन पर यह लागू नहीं होता.
इसके अलावा, सरकार कर चोरी रोकने और अर्थव्यवस्था को और अधिक औपचारिक बनाने का लक्ष्य रखती है. अधिकारियों का मानना है कि छोटे व्यवसायों से भी कर संग्रह करके राजस्व बढ़ाया जा सकता है. कभी-कभी, बड़े व्यवसायों के साथ छोटे विक्रेताओं के लेन-देन के रिकॉर्ड भी इन नोटिस का आधार बन सकते हैं, जहाँ बड़े व्यवसाय अपनी खरीद का इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) दावा करते हैं, और ऐसे में छोटे विक्रेता का जीएसटी पंजीकरण न होना सामने आ जाता है.


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