बेंगलुरु की 'रिंग रोड मर्डर' कहानी: एक प्रेम त्रिकोण का खूनी अंत...........

  रिंग रोड मर्डर: प्रेम और हत्या 


यह कहानी है शुभा शंकरनारायण की, जो एक एलएलबी की छात्रा थी और अपने मंगेतर बीवी गिरीश के साथ शादी करने वाली थी। लेकिन शुभा का दिल अपने जूनियर अरुण वर्मा के लिए धड़कता था।


3 दिसंबर, 2003 की रात को, बीवी गिरीश अपनी मंगेतर शुभा शंकरनारायण को डिनर पर ले गए।डिनर के बाद, शुभा ने एचएएल हवाई अड्डे के पास इनर रिंग रोड पर विमानों को उतरते और उड़ान भरते देखने की इच्छा जताई। यह एक पूर्व-नियोजित योजना का हिस्सा था।


गिरीश, शुभा की बात मानकर उसे कार से रिंग रोड पर उस जगह ले गया, जहाँ से रनवे दिखता था।यह जगह थोड़ी सुनसान थी, जो हमलावरों के लिए एकदम सही थी।जैसे ही गिरीश कार से बाहर निकलकर विमान देखने में व्यस्त हुआ, शुभा का प्रेमी अरुण वर्मा अपने दो साथियों के साथ वहां पहुंचा।उन्होंने गिरीश पर लोहे के रॉड (जो असल में एक बाइक का शॉक एब्जॉर्बर था) से सिर पर पीछे से ताबड़तोड़ वार किए।


हमले के बाद, शुभा ने नाटक शुरू किया। उसने मदद के लिए शोर मचाया।पुलिस को गुमराह करने के लिए, उसने कहा कि लुटेरों ने उन पर हमला किया और गिरीश का क्रेडिट कार्ड छीनकर भाग गए।


गंभीर रूप से घायल गिरीश को अस्पताल ले जाया गया, जहाँ अगले दिन (4 दिसंबर, 2003) सिर में लगी गंभीर चोटों के कारण उसकी मृत्यु हो गई।


स्टेप 1: कहानी में झोल और शुरुआती शक

  • पुलिस को शुभा की कहानी पर पहले दिन से ही शक था।

  • शक का कारण 1: हमले में सिर्फ गिरीश को ही निशाना क्यों बनाया गया? शुभा को एक खरोंच तक नहीं आई।

  • शक का कारण 2: लुटेरे सिर्फ एक क्रेडिट कार्ड क्यों ले गए? उन्होंने कार, कैश या शुभा के गहने क्यों नहीं लूटे?

स्टेप 2: सबसे बड़ा सुराग - कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स (CDR)

  • पुलिस ने जांच की दिशा बदलते हुए शुभा और मृतक गिरीश के मोबाइल फोन के पिछले कुछ हफ्तों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स (CDR) निकलवाए।

  • यह इस केस का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।

स्टेप 3: प्रेमी का खुलासा

  • CDR विश्लेषण से पता चला कि शुभा घटना वाले दिन और उससे पहले लगातार एक खास नंबर पर बात कर रही थी।

  • यह नंबर अरुण वर्मा का था, जो शुभा के ही लॉ कॉलेज में उसका जूनियर था। शुभा और अरुण के बीच दिन में कई-कई बार लंबी बातें होती थीं।

स्टेप 4: पूछताछ और कबूलनामा

  • पुलिस ने इस पुख्ता सबूत के आधार पर शुभा और अरुण वर्मा को हिरासत में लेकर अलग-अलग पूछताछ शुरू की।

  • शुरुआत में दोनों ने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन जब पुलिस ने उनके सामने कॉल रिकॉर्ड्स का सबूत रखा, तो वे टूट गए और अपना गुनाह कबूल कर लिया।

स्टेप 5: पूरी साजिश का पर्दाफाश

  • शुभा ने कबूल किया कि वह अरुण से प्यार करती थी और उससे शादी करना चाहती थी, लेकिन उसके घरवाले गिरीश से शादी के लिए दबाव बना रहे थे।

  • इसलिए, उसने गिरीश को रास्ते से हटाने के लिए अपने प्रेमी अरुण और उसके दो दोस्तों (वेंकटेश और दिनेश) के साथ मिलकर यह पूरी साजिश रची।

स्टेप 6: सबूतों की बरामदगी और गिरफ्तारी

  • अरुण की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल किया गया हथियार (शॉक एब्जॉर्बर) बरामद कर लिया।

  • पुलिस ने साजिश में शामिल अरुण के दोनों साथियों को भी गिरफ्तार कर लिया।


अंतिम फैसला (Final Verdict)

इस केस में ठोस सबूतों और गवाहों के आधार पर निचली अदालत ने 2010 में शुभा, अरुण वर्मा और उसके दोनों साथियों को हत्या और आपराधिक साजिश का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा सुनाई। बाद में कर्नाटक हाई कोर्ट और अंत में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा।


गिरफ्तार शुभ शंकर नारायण

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