नीरज ग्रोवर...हत्याकांड की असली कहानी.....
मुख्य किरदार:
नीरज ग्रोवर (Neeraj Grover): एक प्रतिभाशाली टीवी एग्जीक्यूटिव, जो सिнерजी एडलैब्स (Synergy Adlabs) नामक प्रोडक्शन हाउस के क्रिएटिव हेड थे।
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शक और कत्ल की वो रात
कोच्चि में तैनात मारिया के मंगेतर, एमिल जेरोम को मारिया और नीरज की नजदीकियों पर शक था। 7 मई, 2008 की सुबह, जब जेरोम ने मारिया को फोन किया, तो उसे बैकग्राउंड में एक आदमी (नीरज) की आवाज सुनाई दी। शक और गुस्से में पागल होकर, जेरोम अगली फ्लाइट लेकर बिना बताए मुंबई पहुंच गया।
सुबह करीब 7:30 बजे, जब जेरोम ने मारिया के फ्लैट का दरवाजा खटखटाया, तो उसने नीरज ग्रोवर को बेडरूम में पाया। यह देखकर जेरोम अपना आपा खो बैठा। दोनों के बीच भयंकर लड़ाई हुई और गुस्से में जेरोम ने किचन से चाकू उठाकर नीरज पर कई वार किए, जिससे नीरज की मौके पर ही मौत हो गई।
अपराध छिपाने का घिनौना खेल
नीरज की लाश को देखकर दोनों घबरा गए। पकड़े जाने के डर से, उन्होंने सबूत मिटाने का एक ऐसा खौफनाक प्लान बनाया, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी।
जेरोम ने मारिया को पास की एक दुकान से बड़े चाकू, एयर फ्रेशनर और बैग खरीदने के लिए भेजा। इसके बाद, उसने बाथरूम में नीरज की लाश के लगभग 300 टुकड़े किए। उन टुकड़ों को प्लास्टिक के बैग में भरा गया। फिर दोनों ने उन बैग्स को कार में रखा और मुंबई के बाहरी इलाके में स्थित ठाणे के मनोर जंगल में ले गए। वहां उन्होंने पेट्रोल डालकर बैग्स में आग लगा दी। उन्हें लगा कि उन्होंने सारे सबूत मिटा दिए हैं।
कैसे खुला राज?
जब कई दिनों तक नीरज का कोई पता नहीं चला, तो उसके दोस्तों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने जांच शुरू की और नीरज की कॉल डिटेल्स से पता चला कि उसकी आखिरी लोकेशन मारिया के फ्लैट की थी।
पुलिस ने मारिया को पूछताछ के लिए बुलाया। पहले तो वह कहानी बनाती रही, लेकिन जब पुलिस ने सख्ती दिखाई, तो वह टूट गई और उसने सारा सच उगल दिया। मारिया के कबूलनामे के आधार पर पुलिस ने जेरोम को गिरफ्तार किया और जंगल से नीरज के शरीर के जले हुए अवशेष बरामद किए।
अदालत का फैसला
इस केस ने पूरे देश में सनसनी फैला दी। मुकदमे के बाद, अदालत ने एमिल जेरोम को गैर-इरादतन हत्या (Culpable Homicide Not Amounting to Murder) और सबूत नष्ट करने का दोषी पाया और उसे 10 साल की सजा सुनाई।
वहीं, मारिया सुसाइराज को हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया, लेकिन सबूत नष्ट करने में मदद करने का दोषी पाते हुए उसे 3 साल की सजा सुनाई गई। चूंकि वह मुकदमे के दौरान पहले ही 3 साल से ज्यादा जेल में बिता चुकी थी, इसलिए फैसले के अगले ही दिन उसे रिहा कर दिया गया।
यह कहानी आज भी एक मिसाल है कि कैसे प्यार में अंधापन, शक और एक पल का गुस्सा किसी की जिंदगी को हमेशा के लिए तबाह कर सकता है।
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