साल 2006 से 2011 तक,....उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में...
केरल की धरती ने एक ऐसे सपूत को खो दिया, जिसने अपनी पूरी ज़िंदगी जनता के लिए समर्पित कर दी। 101 वर्ष की आयु में, तिरुवनंतपुरम के एक निजी अस्पताल में, इस महान नेता ने अंतिम साँस ली। उनका नाम राज्य के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है, क्योंकि उन्होंने दशकों तक केरल की राजनीति को एक नई दिशा दी।
साल 2006 से 2011 तक, उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की बागडोर संभाली और जनता के दिलों पर राज किया। उनकी पहचान एक ऐसे नेता के रूप में थी जो निडर थे, जो किसी से नहीं डरते थे, और जो मुद्दों को उठाने में कभी भी पार्टी की सीमाओं की परवाह नहीं करते थे। पिछले कुछ सालों से, बढ़ती उम्र के कारण वे सार्वजनिक जीवन से दूर थे और अपने बेटे के साथ तिरुवनंतपुरम में रह रहे थे।
उनके निजी सचिव ने बताया कि वे हमेशा जनता के हित में खड़े रहे। उनके निधन पर पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। वामपंथी दलों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की, और कई बड़े नेताओं ने उन्हें एक महान कम्युनिस्ट नेता और एक प्रिय जनसेवक बताया। उन्होंने एक ऐसा जीवन जिया जो संघर्ष, समर्पण और जनता के प्रति अटूट विश्वास का प्रतीक था। उनकी विरासत हमेशा लोगों को प्रेरित करती रहेगी।
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